IGNOU BHDC 132 मध्यकालीन हिंदी कविता Important Questions And Answers

IGNOU BHDC 132 मध्यकालीन हिंदी कविता Important Questions And Answers- मध्यकालीन हिंदी कविता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) द्वारा BA कार्यक्रम के लिए पेश किए जाने वाले एक पाठ्यक्रम है। यह पाठ्यक्रम 12वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक की हिंदी कविता का अध्ययन करता है।

  • पाठ्यक्रम: बीए (ऑनर्स) हिंदी
  • पाठ्यक्रम कोड: BHDC-132
  • पाठ्यक्रम का नाम: मध्यकालीन हिंदी कविता

पाठ्यक्रम

  • इकाई 1: मध्यकालीन भारत का परिचय
  • इकाई 2: भक्तिकालीन कविता: सूरदास, तुलसीदास, मीराबाई
  • इकाई 3: सूफी कविता: कबीर, रहीम, जायसी
  • इकाई 4: रीतिकालीन कविता: बिहारी, केशवदास, भूषण
  • इकाई 5: प्रेमकाव्य: रसखान, देव, घनानंद
  • इकाई 6: नीति काव्य: रहीम, विद्यापति, पद्माकर
  • इकाई 7: वीरकाव्य: चंदबरदाई, जगनिक, भूषण
  • इकाई 8: नाटक: रामलीला, कृष्णलीला

सूर के काव्य में ब्रज का लोक जीवन किन रूपों में आया है? सोदाहरण उल्लेख कीजिए। (उत्तर दस पंक्तियों में दीजिए 

IGNOU BHDC 132 मध्यकालीन हिंदी कविता Important Questions And Answers- सूर की काव्य-भाषा ब्रज-भाषा की लोक-छवियों से भरी है। सामाजिक जीवन और जीवन-व्यवहार से जुड़ी सूर की काव्य-भाषा ब्रज-भाषा की जातीय स्मृति और लोक-संस्कृति की पहचान है। उनकी काव्य भाषा में गोकुल के ग्रामीण जीवन में व्यवहार किए जाने वाले शब्दों का भण्डार है। लोक-मानस में बसी यह भाषा जनभाषा और साहित्यिक भाषा के सन्तुलन से सृजित है। पदो की गीतात्मकता और संगीतात्मकता के लिए वह नागर और लोक – दोनो से प्रेरणा ग्रहण करते हैं, लेकिन लोक में उनका मन अधिक रमता है।

काव्य-भाषा को लोक और ग्रामीण संस्कृति के आस-पास रखने के लिए वे लोकोक्तियों और मुहावरों का प्रयोग करते हैं। भाषा की सृजनात्मकता का यह रंग भ्रमरगीत  में सबसे अधिक है। उद्धव-गोपी संवाद में लोकोक्तियों और मुहावरों का यह रंग अधिक गाढ़ा हो जाता है –

IGNOU BHDC 132 मध्यकालीन हिंदी कविता Important Questions And Answers- सूर-काव्य ब्रज की लोक-संस्कृति का महासागर है। कृष्ण के जन्मोत्सव से लेकर भ्रमरगीतसार तक सूर ने ब्रज के पर्व, त्योहार, लोक-संस्कार का सूक्ष्म चित्रण किया है। पशु-पालन और चारागाही-संस्कृति ब्रज के लोक-जीवन का आधार है। सूरदास ने सूरसागर में उस चारागाही-संस्कृति के विविध आयामों और कृष्ण-काव्य में उसके महत्त्व को उद्घाटित किया है। लोक-भाषा और लोक-गीत सूर-काव्य का मूल आधार है। लोक के मुहावरे और लोकोक्तियाँ, तद्भव शब्द सूर के काव्य-संसार को समृद्ध करते हैं। लोक-परम्पराओं और लोक-भाषा को साहित्यिक ब्रज-भाषा में विन्यस्त कर सूर ने ब्रज-भाषा की सृजनात्मकता को बढाया है। IGNOU BHDC 132 मध्यकालीन हिंदी कविता Important Questions And Answers

सूरदास के काव्य भाषा की विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए। (उत्तर दस पंक्तियों में दीजिए)।

सूरदास के वाल्सत्य वर्णन की विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए (उत्तर दस पंक्तियाँ में दीजिए।

सूर के काव्य अभिव्यक्त गोपियों के वियोग का वर्णन कीजिए। (उत्तर दस पंक्तियों में दीजिए)।

भक्ति साहित्य का सबसे पहले उद्भव कहाँ हुआ और उसकी क्या विशिष्टता थी ? तीन-चार पंक्तियों में अपना उत्तर लिखिए ।

भक्ति काव्य के संबंध में आचार्य शुक्ल के मत को अपने शब्दों में लिखिए ?

सगुण भक्ति काव्य और निर्गुण भक्ति काव्य में मुख्य अंतर क्या – क्या है ? कोई पाँच अंतर बताइए ।

अवतारवाद से क्या तात्पर्य है ? लगभग पाँच पंक्तियों में उत्तर लिखिए ।

सगुण भक्ति काव्य की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख लगभग पाँच पंक्तियों में कीजिए ।

रीतिकाल का सामाजिक ढाँचा सामंतवाद की विकृति का परिणाम था । इस कथन को ध्यान में रखते हुए पाँच पंक्तियों में उत्तर लिखिए

रीतिकालीन राजनीतिक परिस्थिति पर प्रकाश डालिए । (उत्तर पाँच पंक्तियों में दीजिए)

रीतिकालीन चित्रकला पर चार पंक्तियों में लिखिए:

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