IGNOU MSK 007 Important Questions And Answers In Hindi

IGNOU MSK 007 Important Questions And Answers In Hindi- इग्नू एमएसके 007 इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) द्वारा प्रस्तावित मास्टर ऑफ आर्ट्स (संस्कृत) कार्यक्रम के लिए एक पाठ्यक्रम कोड को संदर्भित करता है।

  • खंड-1 काव्यप्रकाश (मम्मट ) 1-4, 7-10 उल्लास
  • Khand-1 Kavyaprakash (mammat ) 1-4, 7-10 ullas
  • खंड-2 ध्वन्यालोक: (आनन्दवर्द्धन) प्रथम एवं चतुर्थ उद्योत
  • Khand-2 Dhvanyalok (aanandvardhn) pratham evan chaturth udyot
  • खंड-3 दशरूपक (धनिक एवं धनञ्जय) प्रथम, द्वितीय और तृतीय प्रकाश
  • Khand-3 Dasharoopak (dhanik evan dhananjay) pratham dvitiy aur trtiy prakash
  • खंड-4 संस्कृत काव्यशास्त्र का सर्वेक्षण
  • Khand-4 Sanskrt kavyashastr ka sarvekshan

प्रश्न 1.काव्य-प्रयोजन कितने होते है एवं काव्यरचना मेँ उनकी क्या आवश्यकता होतीहै

काव्य – प्रयोजन काव्य – प्रकाश के प्रथम उल्लास मे मंगलाचरण के पश्चात्‌ आचार्य मम्मट काव्य – प्रयोजन का उल्लेख करते हैँ। यदि काव्य है तो काव्य का प्रयोजन अवश्य होगा क्योकि “प्रयोजनमनुदिश्य न मन्दोऽपि प्रवर्तते” अर्थात्‌ यदि किसी कार्य मे कोड प्रयोजन नहो तो मन्द्‌ बुदि वाला व्यक्ति भी उस मं प्रवृत्त नही होता है। जब लोक मे मन्दमति भी विना प्रयोजन के कोड कार्य नहीं करता है, फिर काव्य तो सहृदयो का विषय है। बिना प्रयोजन के सहृदय किसी काव्य मे कैसे प्रवृत्त हो सकेगा? अतः कोई न को काव्य का प्रयोजन अवश्य होगा, यह काव्य का पहला सोपान है, इस पर आरूढ हुए बिनाहम अग्रिम सोपान पर नही चढ़ सकते।

आचार्य मम्मट के पूर्वं अथवा परवर्ती काव्यशास्त्रियौ ने भी काव्य-प्रयोजन के बारे मे बताया है किन्तु आचार्य मम्मट ने बहूत व्यवस्थित ठग से यहां कुल छः प्रयोजनो को बताया है

अभिज्ञानशाकुन्तलम्‌ आदि की रचना करने वाले रमसिद्ध महाकवि कालिदासादि का यशः शरीर, जन्ममृत्यु के भय से मुक्त है, आज भी व्यास, वाल्मीकि आदि ऋषियो की रचनाएं इस संसार मे पदी जा रहीं है। अतः काव्यरचना यश को दैने वाला है। का यशः शरीर, जन्ममृत्यु के भय से मुक्त है आज भी व्यास वाल्मीकि आदि ऋषियों की रचना्पं इस संसार मेँ पठी जा रहीं है अतः काव्यरचना यश को देने वाला है।

यह काव्य का पहला प्रयोजन [॥ कि काव्य से यश की प्राप्ति होती है। अब दूसरा प्रयोजन द्वितीय प्रयोजन है ‘अर्थकृते यहां अर्थ से तात्पर्य धन से है, तो धन प्राप्ति भी काव्य का प्रयोजन है अब आपको जिज्ञासा हो रही होगी कि काव्य से धन प्राप्ति कैसे मभवदहैर्तो प्रिय कानों आपको यह अवश्य जानना चाहिए

कि प्राचीन कालमे महाकविगण किसी न किसी राजा के आश्रय में रहते थे, वे अपनी कृतियौ से राजा एवं जनता का मागदरशन करते थे जिसके फलस्वरूप राजा, अपने कवि को प्रभूत धान एवं स्वर्णमुदराएं देता था, उसके अतिरिक्त आज भी पुस्तक प्रकाशित करने वाले प्रकाशन / संस्थाएं लेखकों को रयल्टी देती है जिससे उन्हे धन प्राप्ति होती है अतः काव्य से अप्राप्ति होती है यह काव्य का दूसरा प्रयोजन हुआ।

प्रश्न 2.काव्य-स्वरूप का निरूपण करते हुए सोदाहरण विवेचन करे।

प्रश्न 3.उत्तम काव्य का लक्षण एवं उदाहरण बता ।

प्रश्न 4.मध्यम काव्य किसे कहते है? सोदाहरण स्पष्ट करे।

प्रश्न 5.अधम काव्य का सोदाहरण निरूपण करे।

प्रश्न 6.काव्यमें तीन प्रकार के शब्द वाचक, लाक्षणिक, व्यंजक |

प्रश्न 7 –कुमारिलमद़ आदि मीमांसक तात्पयीर्थवादी अभिहितान्वयवादी कहे जाते है।

प्रश्न 8.प्रभाकरगुरु आदि मीमांसक के मत मेँ वाच्यही वाक्यार्थ होताहै। 

प्रश्न 9.काव्यमें अर्थ कितने प्रकार काहोताहै?

प्रश्न 10.आकाक्षा, योग्यता एवं सन्निधि से क्या तात्पर्य है?

Leave a Comment