फासीवाद के उदय के कारण – फासीवाद एक अतिराष्ट्रवादी, अधिनायकवादी राजनीतिक दर्शन और शासन व्यवस्था है जो बल, हिंसा और राष्ट्रीय पुनरुत्थान पर जोर देती है. यह 20वीं सदी के पूर्वार्ध में यूरोप में उभरा, विशेष रूप से इटली में बेनिटो मुसोलिनी के नेतृत्व में और जर्मनी में एडॉल्फ हिटलर के नेतृत्व में. फासीवाद को अक्सर तानाशाही और अधिनायकवाद के पर्याय के रूप में माना जाता है, लेकिन इसमें कुछ विशिष्ट विशेषताएं हैं जो इसे अन्य प्रकार के दमनकारी शासनों से अलग करती हैं. फासीवाद के उदय के कारण, विशेषताएं, उत्पत्ति, सिद्धांत, परिभाषा
What is Fascism & Nazism – फासीवाद और नाजीवाद
फासीवाद की परिभाषा
फासीवाद एक जटिल और बहुआयामी विचारधारा है जिसकी व्याख्या अक्सर विवादों से घिरी रहती है। 20वीं सदी की शुरुआत में इटली में उभरा यह एक कट्टरपंथी राजनीतिक दर्शन है, जो राष्ट्रवाद, अधिनायकवाद और सामाजिक रूढ़िवाद पर आधारित है।
नाजीवाद और फासीवाद क्या है
फासीवाद के उदय के कारण, विशेषताएं, उत्पत्ति, सिद्धांत, परिभाषा – नाजीवाद और फासीवाद दो ऐसे राजनीतिक और सामाजिक विचारधाराओं को दर्शाते हैं जो समाज में अत्यधिक समर्थन के साथ एक नेता या एक पार्टी के अधीनता को प्राथमिकता देते हैं। ये विचारधाराएँ अक्सर अत्याचारी, स्वार्थी, और अत्यंतता परम्परागत धार्मिक और राष्ट्रवादी मूल्यों का समर्थन करती हैं।
फासीवाद के उदय के कारण – उत्पन्न हुआ था जब जर्मन राजनीतिज्ञ और नेता आडोल्फ हिटलर ने अपनी नाजी पार्टी के माध्यम से 1930 के दशक में जर्मनी में शक्ति में आया। नाजीवाद नामक आधारित हैं। नाजी पार्टी ने अपनी सामाजिक और आर्थिक नीतियों के माध्यम से जर्मन समाज को प्रभावित किया और उन्होंने यह दावा किया कि जर्मन राष्ट्र को पुनः अपने पूर्वाग्रहों की महिमा में वापस लाया जाएगा। इसके प्रमुख विशेषताएं शक्तिशाली नेतृत्व, सेना की समर्थन, राष्ट्रवाद, और यह आर्थिक स्वतंत्रता को प्राथमिकता देने के लिए कोई भी औचित्य नहीं देता था।
फासीवाद का उदय इटली में बेनितो मुसोलिनी द्वारा हुआ। फासीवादी विचारधारा भी नाजीवाद की तरह है, लेकिन इसमें इटली के ऐतिहासिक और सामाजिक परिवेश का प्रभाव होता है। फासीवादी राजनीति अक्सर एक स्थिर हार्मोनी, समर्थन से भरपूर सेना, और समाज में एकता और समर्थन का आवाहन करती है। यह विचारधारा अक्सर देश के पारंपरिक मूल्यों, धार्मिकता, और सामाजिक संरचनाओं को बचाव करने का दावा करती है।
फासीवाद के उदय के कारण – रूप से, नाजीवाद और फासीवाद दोनों ही विचारधाराओं में एक प्रभावशाली नेतृत्व, समर्थन से भरपूर सेना, और अत्यंतता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता होती है। इन विचारधाराओं का प्रयास होता है कि समाज में संघर्ष और असमानता को समाप्त किया जाए, लेकिन यह अक्सर अत्याचार, न्याय की अभाव, और स्वतंत्रता की हानि के साथ साथ आत्मत्याग और विवादों का परिणाम देता है।
फासीवाद की विशेषताएं (Characteristics of Fascism)
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अतिराष्ट्रवाद (Ultra-nationalism): फासीवाद राष्ट्र को सर्वोच्च स्थान देता है और राष्ट्रीय गौरव और शक्ति को सर्वोच्च महत्व देता है. फासीवादी मानते हैं कि उनका राष्ट्र दूसरों से श्रेष्ठ है और इसका विस्तार या पुनरुत्थान करना राष्ट्रीय कर्तव्य है.
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अधिनायकवाद (Totalitarianism): फासीवाद राज्य को सर्वशक्तिमान बनाता है, व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समाप्त कर देता है, और समाज के सभी पहलुओं पर नियंत्रण रखने का प्रयास करता है. विपक्ष को दबा दिया जाता है, मीडिया को नियंत्रित किया जाता है, और प्रचार का इस्तेमाल राष्ट्रीय भावना को जगाने और सरकार का समर्थन जुटाने के लिए किया जाता है.
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बल और हिंसा (Violence and Force): फासीवाद बल और हिंसा के इस्तेमाल को मानता है, दोनों आंतरिक विरोध को दबाने और राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए. फासीवादी अक्सर गुप्त पुलिस और अर्धसैनिक बलों का इस्तेमाल विरोधियों को डराने-धमकाने और खत्म करने के लिए करते हैं.
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नेता का पंथ (Cult of Personality): फासीवाद एक मजबूत, करिश्माई नेता के इर्द-गिर्द घूमता है जो राष्ट्र का अवतार माना जाता है. नेता को असीमित शक्ति और पूर्ण आज्ञाकारिता दी जाती है, और उसकी आलोचना को राष्ट्रद्रोह माना जाता है.
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सैन्यवाद (Militarism): फासीवाद एक मजबूत सेना और सैन्य विस्तार का महत्त्व देता है. फासीवादी सरकारें अक्सर सैन्यवाद को बढ़ावा देती हैं और युद्ध को राष्ट्रीय शुद्धिकरण और गौरव के स्रोत के रूप में देखती हैं.
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नस्लीय श्रेष्ठता (Racial Superiority): कुछ रूपों में फासीवाद नस्लीय श्रेष्ठता और शुद्धता के सिद्धांतों पर आधारित होते हैं. फासीवादी यह मान सकते हैं कि उनकी जाति दूसरों से बेहतर है और उन्हें दूसरों पर हावी होने का हक है.
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परंपरावाद (Traditionalism): फासीवाद अक्सर सामाजिक व्यवस्था के सख्त पदानुक्रम और पारंपरिक मूल्यों के संरक्षण को महत्व देता है. फासीवादी आधुनिकता, उदारवाद और सामाजिक सुधारों को राष्ट्रीय कमजोरी के स्रोत के रूप में देख सकते हैं.
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सामूहिकतावाद (Collectivism): फासीवाद व्यक्तिगत स्वतंत्रता को राष्ट्रीय हित के अधीनस्थ करता है. फासीवादी मानते हैं कि व्यक्तियों का राष्ट्र के प्रति कर्तव्य है और उन्हें राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपना बलिदान देना चाहिए.
शब्द की उत्पत्ति (Origin of the Word)
फासीवाद शब्द की उत्पत्ति इटली से हुई है. यह शब्द लैटिन शब्द “fasces” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “एक छड़ी का बंडल जिसमें कुल्हाड़ी लगी हो”. फासीज प्राचीन रोमन साम्राज्य में सत्ता के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल होता था. फासीवाद के उदय के कारण, विशेषताएं, उत्पत्ति, सिद्धांत, परिभाषा
1919 में इटली में बेनिटो मुसोलिनी द्वारा स्थापित राष्ट्रीय फासीवादी दल (Partito Nazionale Fascista) ने इस शब्द को अपनाया. इस दल का दावा था कि वह इटली के गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित करेगा और राष्ट्र को मजबूत बनाएगा.
फासीवाद के उदय के कारण (Causes of the Rise of Fascism)
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प्रथम विश्व युद्ध के बाद का असंतोष (Post-WWI Discontent): प्रथम विश्व युद्ध यूरोप के लिए एक विनाशकारी घटना थी. युद्ध से भारी जनहानि हुई, अर्थव्यवस्थाएं तबाह हो गईं और सामाजिक व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई. इस माहौल में लोगों में असंतोष, निराशा और गुस्सा पैदा हुआ. फासीवादी नेताओं ने इस असंतोष का फायदा उठाकर यह दावा किया कि वे मजबूत नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं और राष्ट्र को गौरव दिला सकते हैं.
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आर्थिक मंदी (Great Depression): 1929 की महामंदी ने फासीवाद के उदय को और बढ़ावा दिया. महामंदी के दौरान बेरोजगारी चरम पर थी
फासीवाद का इतिहास
फासीवाद के उदय के कारण – शब्द इतालवी शब्द “फासी” से आया है, जिसका अर्थ है “बंडल.” यह प्राचीन रोमन प्रतीक, फासिस से लिया गया है, जो एक कुल्हाड़ी के चारों ओर बंधी छड़ों का एक समूह था. फासीवाद का इस्तेमाल मूल रूप से जियोर्जियो सोरेल नामक फ्रांसीसी दार्शनिक द्वारा 1900 के दशक की शुरुआत में किया गया था. सोरेल ने एक ऐसे समाज की वकालत की थी जो हिंसा और प्रत्यक्ष कार्रवाई के माध्यम से राष्ट्रीय पुनरुत्थान प्राप्त करेगा.
हालाँकि, फासीवाद एक प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में इटली में बेनिटो मुसोलिनी के उदय के साथ उभरा. मुसोलिनी एक समाजवादी के रूप में शुरू हुआ, लेकिन बाद में राष्ट्रवाद और सैन्यवाद के तत्वों को अपने विचारों में शामिल कर लिया. प्रथम विश्व युद्ध के बाद, इटली में सामाजिक अशांति और आर्थिक मंदी का दौर आया. मुसोलिनी ने इस अशांति का फायदा उठाते हुए 1922 में नेशनल फासिस्ट पार्टी का गठन किया और मार्च ऑन रोम के माध्यम से सत्ता हथिया ली.
मुसोलिनी के नेतृत्व में, इटली एक फासीवादी राज्य में बदल गया. फासीवादी शासन की विशेषता एक-दलीय शासन, राज्य द्वारा नियंत्रित अर्थव्यवस्था, व्यक्तित्व का पंथ (व्यक्ति पूजा), आलोचना के दमन और विपक्ष का दमन था. फासीवाद ने साम्राज्यवाद और विस्तारवाद को भी बढ़ावा दिया, जिसके कारण इटली ने इथियोपिया पर आक्रमण किया और स्पेन के गृहयुद्ध में फ्रांसिस्को फ्रेंको का समर्थन किया.
फासीवाद जर्मनी में भी जड़ें जमा चुका था, जहां एडॉल्फ हिटलर ने 1933 में सत्ता हथिया ली और नाजी पार्टी की स्थापना की. जर्मन फासीवाद, जिसे नाजीवाद के रूप में जाना जाता है, इतालवी फासीवाद के समान कई विशेषताओं को साझा करता था, लेकिन यह यहूदी विरोधी भावना और नस्लीय शुद्धता के विचारों से भी ग्रस्त था. नाजी जर्मनी द्वितीय विश्व युद्ध का एक प्रमुख कारण था, जिसने यूरोप और दुनिया के अन्य हिस्सों को तबाह कर दिया.
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, फासीवाद को एक व्यापक रूप से बदनाम विचारधारा के रूप में देखा जाने लगा. इटली और जर्मनी दोनों में फासीवादी शासन ढह गए. हालांकि, फासीवाद का पूरी तरह से सफाया नहीं हुआ. शीत युद्ध के दौरान, फासीवादी और नव-फासीवादी समूह कई देशों में उभरे, विशेष रूप से लैटिन अमेरिका और यूरोप में.
फासीवाद के तत्व भी समकालीन दुनिया में विभिन्न रूपों में मौजूद हैं. कुछ राजनीतिक नेता राष्ट्रवादी और अधिनायकवादी प्रवृत्तियों का प्रदर्शन करते हैं
प्रमुख फासीवादी शासन
- बेनिटो मुसोलिनी का इटली (1922-1943): फासीवाद का पहला और सबसे कुख्यात उदाहरण, जिसने इटली को एक तानाशाही में बदल दिया और द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया।
- एडॉल्फ हिटलर का जर्मनी (1933-1945): नाज़ी जर्मनी, जिसने यहूदियों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ नरसंहार किया और यूरोप में विनाशकारी युद्ध छेड़ा।
- फ्रांसिस्को फ्रेंको का स्पेन (1939-1975): स्पेनिश गृहयुद्ध के बाद सत्ता में आए, फ्रेंको ने एक दमनकारी शासन स्थापित किया जो 1975 तक चला।
आधुनिक फासीवाद
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद फासीवाद को हरा दिया गया था, लेकिन यह विचारधारा पूरी तरह से गायब नहीं हुई। 20वीं सदी के उत्तरार्ध और 21वीं सदी में, कई समूहों ने फासीवादी विचारों को अपनाया है, अक्सर राष्ट्रवाद, अलगाववाद और ज़ेनोफ़ोबिया के संदेशों को बढ़ावा देते हुए।
फासीवाद के सिद्धांत
फासीवाद, 20वीं सदी के शुरुआती दौर में विकसित एक राजनीतिक विचारधारा है, जो राष्ट्रवाद, सत्तावाद, और सामाजिक संरचनावाद पर आधारित है। यह विचारधारा प्रथम विश्व युद्ध के बाद, इटली और जर्मनी में उभरी, और शीघ्र ही पूरे यूरोप में फैल गयी।
फासीवाद के मुख्य सिद्धांत
1. राष्ट्रवाद: फासीवाद राष्ट्रवाद को सर्वोपरि मानता है। राष्ट्र को सर्वोच्च शक्ति माना जाता है, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकार राष्ट्र हित के अधीन होते हैं।
2. सत्तावाद: फासीवाद एक शक्तिशाली, केंद्रीकृत सरकार में विश्वास करता है, जिसका नेतृत्व एक तानाशाह या सर्वोच्च नेता करता है। यह नेता राष्ट्र की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है, और उसे पूर्ण शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
3. सामाजिक संरचनावाद: फासीवाद सामाजिक वर्गों के बीच पदानुक्रम और सामाजिक व्यवस्था में विश्वास करता है। प्रत्येक वर्ग का अपना विशिष्ट कार्य होता है, और समाज को एकजुट रहने के लिए सभी को अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
4. साम्राज्यवाद: फासीवाद राष्ट्र के विस्तार और साम्राज्य निर्माण का समर्थन करता है। यह माना जाता है कि राष्ट्र का विस्तार उसकी शक्ति और महानता का प्रमाण है।
5. सैन्यवाद: फासीवाद एक शक्तिशाली सेना और सैन्य शक्ति को राष्ट्र की सुरक्षा और सफलता के लिए आवश्यक मानता है।
6. प्रचार: फासीवाद प्रचार और जन नियंत्रण का व्यापक उपयोग करता है। विचारधारा का समर्थन करने और विरोध को दबाने के लिए मीडिया, शिक्षा और कला का उपयोग किया जाता है।
7. विरोधी-उदारवाद और विरोधी-साम्यवाद: फासीवाद उदारवाद और साम्यवाद दोनों का विरोध करता है। यह उदारवाद को व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अत्यधिक ध्यान देने के लिए और साम्यवाद को वर्ग संघर्ष और क्रांति को बढ़ावा देने के लिए दोषी ठहराता है।
8. अर्थव्यवस्था: फासीवादी अर्थव्यवस्था में निजी संपत्ति और बाजार अर्थव्यवस्था का अस्तित्व रहता है, लेकिन सरकार अर्थव्यवस्था पर सख्त नियंत्रण रखती है। लक्ष्य राष्ट्रीय हित को बढ़ावा देना और आत्मनिर्भरता प्राप्त करना होता है।