भूमिगत कांग्रेस रेडियो ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाई टिप्पणी कीजिए – भारत के स्वतंत्रता संग्राम में, भूमिगत कांग्रेस रेडियो, जिसे “आज़ाद रेडियो” के नाम से भी जाना जाता है, ने एक छोटी, लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के जवाब में, यह रेडियो स्टेशन स्थापित किया गया था।
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भूमिका और महत्व
- सूचना का माध्यम: कांग्रेस रेडियो ने क्रांतिकारी विचारों, समाचारों और प्रेरणादायक संदेशों को पूरे देश में प्रसारित करके भारतीयों को एकजुट करने और प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- ब्रिटिश शासन को चुनौती: यह रेडियो ब्रिटिश शासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को तोड़ने और औपनिवेशिक शासन की वैधता को चुनौती देने का एक साधन था।
- जनता का मनोबल: कांग्रेस रेडियो ने क्रांतिकारी गीतों, नाटकों, और भाषणों के माध्यम से जनता का मनोबल बढ़ाया और उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
- आंदोलन का समन्वय: विभिन्न क्षेत्रों में स्वतंत्रता सेनानियों के बीच समन्वय और संचार स्थापित करने में भी रेडियो महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
चुनौतियाँ और बलिदान
- ब्रिटिश दमन: कांग्रेस रेडियो को ब्रिटिश सरकार द्वारा लगातार दमन का सामना करना पड़ा। रेडियो स्टेशनों को ध्वस्त कर दिया गया, प्रसारण उपकरणों को जब्त कर लिया गया, और क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
- तकनीकी कठिनाईयाँ: उस समय तकनीकी रूप से सीमित, रेडियो प्रसारण अस्थिर और अनियमित था।
- बलिदान: कई क्रांतिकारी, जिन्होंने कांग्रेस रेडियो के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया, प्रताड़ित किया गया, और यहां तक कि फांसी भी दे दी गई।
भारत छोड़ो आंदोलन शुरू होने का मुख्य कारण क्या था?
भारत छोड़ो आंदोलन शुरू होने के कारण
1.द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, ब्रिटेन को भारत से सैनिकों और संसाधनों की भारी मांग थी।
- इसने भारतीय अर्थव्यवस्था पर बोझ डाला और लोगों में असंतोष पैदा कर दिया।
- युद्ध में भारत की भागीदारी के बावजूद, ब्रिटेन ने भारत को स्वतंत्रता देने से इनकार कर दिया।
2.क्रिप्स मिशन की विफलता
- 1942 में, सर स्टेफोर्ड क्रिप्स को भारत को स्वतंत्रता का वादा करने और युद्ध के प्रयासों में भारतीय सहयोग प्राप्त करने के लिए भारत भेजा गया था।
- लेकिन, क्रिप्स मिशन विफल रहा क्योंकि ब्रिटेन भारत को पूर्ण स्वतंत्रता देने के लिए तैयार नहीं था।
3.भारतीय राष्ट्रवाद का उदय
- 20वीं शताब्दी के शुरुआती दौर में, भारत में राष्ट्रवादी भावनाएं बढ़ रही थीं।
- लोग स्वतंत्रता चाहते थे और ब्रिटिश शासन से मुक्ति चाहते थे।
4.अन्य कारण
- भारतीयों को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मामलों में समान अधिकार नहीं दिए गए थे।
- ब्रिटिश सरकार की नीतियों के कारण गरीबी और भुखमरी बढ़ रही थी।
- युवाओं में क्रांतिकारी भावनाएं बढ़ रही थीं।
भारत छोड़ो आंदोलन कौन से सन में प्रारंभ हुआ था?
भूमिगत कांग्रेस रेडियो ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाई टिप्पणी कीजिए – भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त 1942 को सन 1942 में प्रारंभ हुआ था। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुंबई अधिवेशन में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य अहिंसक तरीके से ब्रिटिश शासन को भारत छोड़ने के लिए मजबूर करना था। यह आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था और इसने देश भर में लाखों लोगों को प्रेरित किया।
हालांकि ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन को क्रूरता से दबा दिया और कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को यह एहसास दिला दिया था कि भारत में उनका शासन अब टिकाऊ नहीं है और आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया।
अंग्रेजों ने देश कब छोड़ा?
अंग्रेजों ने 15 अगस्त 1947 को भारत छोड़ा। 20वीं शताब्दी में, भारतीयों ने स्वतंत्रता के लिए कई आंदोलन किए, जिनमें भारत छोड़ो आंदोलन सबसे महत्वपूर्ण था। इस आंदोलन के दबाव में, ब्रिटिश सरकार ने भारत को स्वतंत्रता देने का फैसला किया।
15 अगस्त 1947 को, लॉर्ड माउंटबेटन, जो भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल थे, ने लाल किले से भारतीय तिरंगा फहराया और भारत को स्वतंत्र घोषित किया।