BEVAE 181 Solved Assignment Hindi Medium 2022-23

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BEVAE 181 Solved Assignment Hindi Medium 2021-22

Contents

BEVAE 181 Solved Assignment Hindi Medium 2021-22

पर्यावरण अध्ययन पर क्षमता वर्धक अनिवार्य पाठ्यक्रम

Q. 1. “सतत विकास एक आदर्श लक्ष्य है जिसकी प्राप्ति के लिए सभी मानव समाजों को प्रयत्नशील रहना चाहिए | इस कथन का औचित्य 250 शब्दों में सिद्ध कीजिए।

Ans. BEVAE 181 Solved Assignment Hindi Medium 2021-22 सतत विकास एक आदर्श लक्ष्य है जिसकी प्राप्ति के लिए सभी मानव समाजों को प्रयत्नशील रहना चाहिए वास्तव में विकास को केवल देश के आर्थिक विकास से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। विकास का अर्थ मानव के जीवन स्तर से है जिसमें लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार, गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ् य, रोजगार, आवास, पेयजल और स्वच्छता जैसी मूलभूत जरूरतों तक पहुंच तथा सामाजिक न्याय, समानता और मानवीय कौशल है। विकास का मापक पैमाना मानव विकास सूचकांक पर आधारित होना चाहिए, तभी नीतियां और कार्यक्रम इसके आस-पास दिखेंगे। संकल्पना में सभी बातें सतत विकास लक्ष्यों, उप लक्ष्यों में दिखती है, लेकिन आर्थिक क्रियाकलापों में इनका प्रतिबिंबित होना अतिआवश्यक है।

सतत विकास के सत्रह लक्ष्यों में लक्ष्य ‘आठ’ एक छतरी जैसी अवधारणा लिए हुए है, जिसमें नागरिकों के आर्थिक विकास की मूल धूरी में विकास के विभिन्न पहलुओं को पिरोया गया है। लक्ष्य आठ के 12 उपलक्ष्यों में रोजगार उपलब्धता वाले सभी क्षेत्रकों को इस तरह विकसित करने की बात दोहराई गई है, जिससे सभी नागरिकों का टिकाऊ आर्थिक विकास संभव हो। इसके लिए कृषि, सूक्ष्म-लघु-मध्यम दर्जे के उद्योंगो के आर्थिक व तकनीकी विकास को प्रोत्साहन, श्रमिक अधिकारों की सुरक्षा, समान वेतन, बाल श्रम उन्मूलन, युवाओं का कौशल विकास, पर्यावरण संरक्षण संबंधी नीतियां बनाने एवं उन पर काम करने जोर दिया गया है।

भारत में सतत विकास
भारत विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होने के बावजूद मानव विकास सूचकांक, हंगर इंडेक्स और स्वास्थ्य जैसे सूचकाकों में अन्य अल्प विकसित देशों से भी काफी नीचे पायदान पर है। प्राकृतिक और मानव संसाधन की अकूत संपदा के बावजूद गरीबी, बेरोजगारी, भूखमरी, स्वा स्थ्य, शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में पिछड़ापन और लोगों के जीवन स्तर में सुधार के आशानुकूल जैसे संकेत ज़मीनी हक़ीक़त में नहीं दिखने के कई सारे कारण हैं, जिन को दूर किए बिना सतत विकास लक्ष्य को पाना संभव नहीं होगा। भारत कृषि प्रधान और ग्रामीण परिवेश वाला देश है। जनसंख्या के बड़े हिस्से का रोजगार और आजीविका कृषि और इससे पैदा होने वाले रोजगार पर निर्भर है। 2011 की जनगणना के अनुसार देश की कुल जनसंख्या में 68.84 प्रतिशत लोग गांवों में निवास करते हैं। प्राकृतिक आपदाओं और भौगोलिक विविधताओं के साथ-साथ सरकारी क्षेत्र में कृषि विकास की अनदेखी से किसानों विशेषकर युवा किसानों का कृषि एवं पशुपालन से मोहभंग हुआ है। कृषि में लागत और आय में असमानता की खाई के कारण किसान खेती को वैकल्पिक आजीविका के रूप में देखने लगे हैं।

दाने-दाने को जोड़कर देश-दुनिया के खाद्यान्न भंडार भरने वाले छोटे और मझौले किसानों की आर्थिक दशा सबसे खराब है। आंकड़ों के अनुसार भारत में 13.78 करोड़ कृषि भूमि धारकों में से 11.78 करोड़ छोटे और मझौले किसान हैं, जो खेती और मजदूरी की मिश्रित कमाई से अपनी आजीविका चलाते हैं। युवा और प्रौढ़ सदस्य असंगठित क्षेत्र में मजदूरी के लिए प्रवास करते हैं। युवाओं का तेजी से शहरों की तरफ पलायन बढ़ रहा है।


2. नीचे दिए गए प्रत्येक प्रश्नों में अंतर उदाहरण सहित 125 शब्दों में कीजिए।

(क) आनुवांशिक और प्रजातीय विविधता

जैव विविधता के संरक्षण के महत्व को समझने का प्रयास कुछ वर्षों से अभ्यास में रहा है, लेकिन जैव विविधता के पहलुओं में से अधिकांश में प्रवेश नहीं किया गया है लोग। हालांकि, आनुवंशिक, प्रजाति और पारिस्थितिक तंत्र जैसे जैव विविधता के तीन मुख्य स्तर हैं। ये सभी स्तर महत्वपूर्ण हैं और एक दूसरे से संबंधित हैं। आनुवांशिक और प्रजातीय विविधता दोनों पारिस्थितिकी तंत्र के विविधता और पर्यावरण की परिवर्तनशीलता के माध्यम से निर्धारित की जाती हैं। हालांकि, आनुवांशिक और प्रजाति विविधता के बीच काफी अंतर हैं।

आनुवंशिक विविधता क्या है?
आनुवांशिक और प्रजातीय विविधता – आनुवांशिक विविधता को आनुवांशिक मेकअप के रूप में और प्रजातियों के बीच भिन्नता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। शब्द के बारे में समझने के लिए दो महत्वपूर्ण बिंदु हैं; एक यह है कि यह आनुवंशिक सामग्री से संबंधित है, और दूसरा यह है कि यह किसी भी एक प्रजाति या उससे अधिक के साथ संबंधित हो सकता है। आनुवंशिक विविधता को जैव विविधता के आधारभूत स्तर माना जाता है। विविधता दोनों विविधता और परिवर्तनशीलता का एक संयोजन है; आनुवांशिक विविधता चुनौतीपूर्ण पर्यावरणीय मांगों के लिए सभी प्रजातियों को अनुकूलनीय बनाती है। आनुवांशिक और प्रजातीय विविधता किसी विशेष प्रजाति को बदलने की क्षमता पर्यावरण की विभिन्न मांगों पर अत्यधिक मूल्यवान है; वास्तव में, पर्यावरण हमेशा समय के साथ बदल रहा है।

(ख) जैव विविधता में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्षप्रतियोगिता मूल्य


3. नीचे दिए गए प्रत्येक प्रश्नों का उत्तर 150 शब्दों में लिखिए।

(क) जैव विविधता हॉटस्पाट क्‍या है? भारत को जैव विविधता वाला देश क्‍यों माना जाता है।
(ख) जलीय पारितंत्रों में पाये जाने वाले विभिन्‍नजीवों के स्तर को उदाहरण और चित्र सहित व्याख्या कीजिए।
(ग) सतह और भूजल के बीच अंतर समझाइए। जल की निम्नीकरण के विभिन्‍न कारकों को स्पष्ट कीजिए।
(घ) संक्षिप्त में नाइट्रोजन चक्र को चित्र की सहायता से समझाइए |


4. केन्द्रीय भागीदारी वन प्रबंधन की आवश्यकता क्‍यों होती है? किस तरह वन अधिकार अधिनियम 2006, जनजातीय और वनवासियों की सहायता करता है। उपयुक्त उदाहरण सहित 200 शब्दों में वर्णन कीजिए।


5. भारत में अ-प्रदूषणकारी ऊर्जा तंत्रों के विकास का आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए। इस प्रश्न का उत्तर उदाहरण सहित 200 शब्दों में कीजिए।

खंड ख


6. नीचे दिए गए प्रत्येक प्रश्नों को 60 शब्दों में वर्णन कीजिए।

(क) पर्यावरणीय न्याय
(ख) एजेंडा 21
(ग) हरितगृह प्रभाव
(घ) जलवायु परिवर्तन


7. नीचे दिए गए प्रत्येक प्रश्नों का उत्तर 150 शब्दों में लिखिए।

(क) अनुपयुकत अपशिष्ट निस्तारण के कोई चार प्रभावोंका वर्णन उदाहरण सहित कीजिए।
(ख) ओजोन परत हसन क्या है। इसके प्रभाव को समझाइए।
(ग) केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक संस्था के रूप में भारत में पर्यावरण सप्रेषण के प्रदूषण स्तर की व्याख्या कीजिए।
(घ) सामूहिक कार्य किस तरह पर्यावरणीय मुद्दों और चिंताओं में सहायता करता है?


8. “संरक्षित क्षेत्र प्रजातियों के यथास्थल संरक्षण, में एक मुख्य भूमिका निभाता है।” इस कथन की व्याख्या वर्तमान के संदर्भ में 200 शब्दों में उदाहरण सहित कीजिए।


9. “प्रदूषित जल हमारे स्वास्थ्य और अन्य जीवों के लिए खतरा है“ । जल प्रदूषकों के विभिन्‍न कारकों के आधार पर इस कथन की व्याख्या 200 शब्दों में कीजिए।


10. प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़ और चक्रवात किस तरह जीवन और संपत्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डालते है। इस प्रश्न का उत्तर उपयुक्त उदाहरण देते हुए 250 शब्दों में लिखिए।


Last Date of Submission of IGNOU Assignments

  • For July 2021 Session – 30th April 2022
  • For January 2022 Session – 31st October 2022

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